बहराइच। कोविड काल के दौरान एक तरफ जहां प्रदेश सरकार आमजनमानस को हर सम्भव सुविधायें मुहैया कराने के लिये हर सम्भव प्रयास कर रही है वहीं सरकार के कुछ विभाग सरकार के ही आदेशों पर खुलेआम धज्जियां उड़ाने बाज नहीं आ रहे हैं। मामला बहराइच जनपद के लोकनिर्माण विभाग का है ।
*बहराइच में धरोहर राशि के नाम पर चल रही विभाग की मनमानी*
यहां लोक निर्माण विभाग के लिये कोविड काल में इस वर्ष तीन मार्च को एक शासनादेश प्रमुख अभियंता राजपाल सिंह द्वारा लखनऊ से जारी हुआ था जिसके अनुसार किसी भी टेंडर को कोविड काल के बाद निकाला जाएगा तो उसमें धरोहर राशि 10.5 प्रतिशत से घटाकर 3 प्रतिशत करने का आदेश था, मामले की गम्भीरता को देखते हुए इसे सख्ती से लागू करने के लिए मुख्य अभियंता आर सी शुक्ला द्वारा आदेश का अनुपालन कराने हेतु 13 मार्च को एक और पत्र लखनऊ से जारी हुआ था
*मुख्य अभियंता के आदेश को दरकिनार कर रहे अधीक्षण अभियंता*
बावजूद उसके 21 मई को बहराइच लोक निर्माण विभाग के अधीक्षण अभियंता राजीव कुमार के द्वारा अपने अधिकारियों के आदेश को दरकिनार कर 10 प्रतिशत धरोहर राशि के साथ 5 करोड़ 70 लाख का टेंडर जारी किया गया । शासनादेश का माखौल उड़ाता विभाग का यह रहस्यमय आदेश विभाग की कलई खोलने के लिए पर्याप्त है। विभाग के इस कारनामे से लोक निर्माण के ठेकेदारों में बेह्द आक्रोश व्याप्त है , इन ठेकेदारों ने बताया कि निविदा में एक तरह का कंपटीशन होता है। जो सबसे कम रेट पर काम करना चाहता है उसी को निविदा दी जाती है लेकिन गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं किया जाता है। इससे सरकार को लाभ मिलता है।लेकिन विभाग के इस करतूत से निश्चित तौर पर गुणवत्ता प्रभावित होगी। एक तरफ आदेश है कि जो सबसे कम पैसे में काम कराने के लिए तैयार है उसी को निविदा दिया जाए। विभाग और संबंधित ठेकेदार के बीच तैयार अनुबंध में गुणवत्ता की शर्त रखी जाती है। इसके बाद भी गुणवत्ता की अनदेखी करने पर शिकायत मिलने पर अनुबंध निरस्त करते हुए जमानत राशि जब्त कर ली जाती है।ऐसे में धरोहर राशि का यह उलटफेर विभाग के लिये मुशीबत की दस्तक बन जायेगी।