*‼️ जीवित्पुत्रिका व्रत ‼️*
*व्रतदेवता - जीमूतवाहन।तिथि - आश्विनकृष्ण अष्टमी।*
यह व्रत पुत्रवती स्त्रियों पुत्रों के स्वास्थ और दीर्घायु के लिए किया जाता है। आश्विन कृष्णपक्ष में जिस दिन प्रदोषकाल में अष्टमी हो , उसी दिन पूजन का विधान है।
*प्रदोषसमये स्त्रीभिःपूज्यो जीमूतवाहन:।*
यदि दो दिन प्रदोष व्यापिनी अष्टमी हो तो व्रत दूसरे दिन करना चाहिए। यदि सप्तमी उपरान्त अष्टमी हो तो वह भी ठीक है।
*सप्तम्यामुदिते सूर्ये परतचाष्टमी भवेत्।*
*तत्र व्रतोत्सवं कुर्यान्न कुर्यादपरेऽह्नि।।*
किंतु पारणा अगले दिन सूर्योदय में नवमी में ही करना चाहिए। इसलिए जीवित्पुत्रिका का व्रत इस वर्ष बुधवार, दिनांक 29/09/2021 ई० को होगा। पारणा गुरुवार 30/09/2021 को सुबह 06:15 के बाद होगा।
व्रती प्रात:काल स्नानादि से निवृत्त होकर दिनभर उपवास रहकर सायंकाल सूर्यास्त के बाद प्रदोष काल में किसी जलाशय के समीप जाकर शालिवाहन राजा के पुत्र धर्मात्मा जीमूतवाहन की कुश निर्मित मूर्ति मिट्टी के पात्र में रखकर पीली और लाल रुई से अलंकृत कर विधिवत् पूजन करे। मिट्टी तथा गाय के गोबर से चिल्होड़िन और सियारिन की मूर्ति बनाकर उनके मस्तकों पर सिंदूर लगायें। वंशवृद्धि हेतु बांस के पत्रों से पूजन करना चाहिए तथा व्रतमाहात्म्य की कथा सुननी चाहिए। अगले दिन सूर्योदय के पश्चात् पारणा करनी चाहिए। यह भी मान्यता है कि निर्जला व्रत एक कठिन व्रत है महिलाएं कठिन व्रत रखें भगवान से पुत्र प्राप्ति की कामना करती हैं और उनके दीर्घायु के लिए प्रार्थना करती हैं।
*जय श्री कृष्ण। आचार्य आकाश तिवारी 📞9651465038*