*कल शुक्रवार को स्थिर लग्न अभिजीत मुहूर्त में घर घर मे विराजेगें श्री गणेश*
भाद्रपद शुक्ल पक्ष चतुर्थी तिथि को मध्याह्र के समय विघ्न विनायक भगवान श्रीगणेश जी का जन्म हुआ था। अतः यह तिथि मध्याह्रव्यापिनी लेनी चाहिए। गणेश जी हमारे प्रथम पूज्य देवता हैं। सनातन धर्मानुयायी स्मार्त़ों के पंच देवताओं में गणेश जी प्रमुख हैं। हम हिंदुओं के घर में चाहे जैसी पूजा या कोई भी वैदिक कर्मानुष्ठान हो सर्वप्रथम श्री गणेश जी का आवाहन और पूजन किया जाता है।शुभ कार्यों में गणेश जी की स्तुति का अत्यंत महत्व माना गया है। गणेश जी विघ्नों को दूर करने वाले देवता हैं। इनका मुख हाथी का है उदर लंबा तथाशेष शरीर मनुष्य के समान है मोदक इन्हें विशेष प्रिय हैं। इस वर्ष गणेश चतुर्थी का पर्व १० सितंबर शुक्रवार को मनाया जाएगा।
इस वर्ष गणेश चतुर्थी के दिन विशेष संयोग बन रहा है।
स्थिर लग्न अभिजीत मुहूर्त और शुभ की चौघड़िया का विशेष संयोग बन रहा है। इस संयोग में भगवान गणेश जी की स्थापना पूजन की जाए तो सभी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी। गणेश जी के आवाहन पुजन के बाद *गणेश अथर्वशिर्ष* तथा *संकटनाशन गणेश स्तोत्र* का यथा संख्या पाठ एवं *ॐ गं गणपतये नमः* मंत्र का यथा संख्या जाप करना चाहिए। गणेश जी को 21 दूर्वा दल चढ़ाना चाहिए। 21 लड्डुओं का भोग लगाना चाहिए। इस चतुर्थी को चंद्र दर्शन का निषेध किया गया है। इस दिन चंद्र दर्शन से मिथ्या कलंक लगता है। अतः इस तिथि को चंद्रमा का दर्शन नहीं करना चाहिए।अगर भुल वश दर्शन हो जाय तो श्यामंतक मणी का कथा पढना या श्रवण करना चाहिए।
*जय श्री कृष्ण। ✍🏻
आचार्य आकाश तिवारी 9651465038🚩🚩।*