*‼️-:मकर संक्रांति:-‼️*
*भास्करस्य यथा तेजो मकरस्थस्य वर्धते।*
*तथैव भवतां तेजो वर्धतामिति कामये।।*
जैसे मकरराशी में सूर्य का तेज बढता है, उसी तरह आपके स्वास्थ्य और समृद्धि की हम कामना करते हैं।
*इस दिन पिता सूर्य अपने पुत्र शनि से मिलने स्वयं उनके घर जाते हैं। चूंकि शनिदेव मकर राशि के स्वामी हैं, अतएव इस दिन को मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है।महाभारत काल में भीष्म पितामह ने अपनी देह त्यागने के लिए मकर संक्रांति का ही दिन चयन किया था। मकर संक्रांति के दिन ही गंगाजी भगीरथ के पीछे-पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होकर सागर में जा मिली थीं। इस दिन दान का बिशेष महत्व होता है। मकर-संक्रांति से प्रकृति भी करवट बदलती है। मकर संक्राती का पर्व इस वर्ष 15 जनवरी को मनाया जायेगा। हृषिकेश पंचांग के अनुसार इस वर्ष 14 जनवरी को रात मे 8 बजकर 49 मिनट पर संक्रांति बदल रहा हैं। अतएव 15 जनवरी को प्रात: स्नान,दान,पुजा,जप इत्यादि करना श्रेयस्कर रहेगा। इस दिन लोग खिचड़ी बनाकर भगवान सूर्यदेव को भोग लगाते हैं, जिस कारण इस पर्व को खिचड़ी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन पवित्र नदी में स्नान कर यथाशक्ति दान कर तिल और गुड़ से बनी वस्तु को खाने की परंपरा है। इस पवित्र पर्व के अवसर पर पतंग उड़ाने का अलग ही महत्व है। बच्चे पतंगबाजी करके ख़ुशी और उल्लास के साथ इस त्यौहार का भरपूर लुत्फ़ उठाते हैं। इस दिन सूर्य उत्तरायण हो जाते हैं और गीता के अनुसार जो व्यक्ति उत्तरायण में शरीर का त्याग करता है, वह श्री कृष्ण के परम धाम में निवास करता है। मुलत: इस काल में स्नान, दान ऊनी वस्त्र कम्बल दान व बाह्मण को दान करना बड़ा पुण्यदायी माना गया है पुत्र की कामना से शनिप्रदोष का व्रत भी पुण्यदायी होगा। 🙏जय श्री कृष्ण🙏।आचार्य आकाश तिवारी*
*राष्ट्रीय गौ सेवा संघ मंडल प्रवक्ता गोरखपुर*
*संपर्क सूत्र 9651465038*