*जब सूर्य ग्रहण लगे या ग्रहण का सुतक लग जाये तब क्या करना चाहिये❓*
शास्त्रों मे कहा गया है-
*ग्रस्तोदिते ग्रहे ग्रस्तं दृष्ट्वा स्नानं समाचरेत्।*
*ग्रस्तास्ते मौक्तिकस्नानं मुक्तं दृष्ट्वा रविं विधुम्।।*
नियमत: सूर्यग्रहण का सूतक 12 घण्टे पहले अर्थात प्रातः 04:22 से प्रारंभ हो चुका है।
वृद्ध , रोगी , स्त्री , गर्भिणी , अल्पवय के लोगों पर यह सूतक नहीं लगेगा। और साथ ही साथ तिल , कुश को खाद्य पदार्थों में डाल कर रखने से वे ग्रहण में अखाद्य नहीं होते।
*वारि तक्रारनालादि तिल दर्भै न दुष्यते ।।*
कुश ( दर्भ ) और तिल की व्यवस्था धार्मिक जन घर में रखें। गर्भिणी ग्रहण काल में गाय का गोबर उदर पर लेप करें तो कोई ग्रहण जन्य दोष नहीं होगा। पका अन्न, कटी सब्जी और फल ग्रहण काल में दूषित हो जाते हैं। इन्हें नहीं खाना चाहिए। अन्न, घी, तैल, दूध, दही, लस्सी, मक्खन, पनीर, अचार, चटनी , कांजी, सिरका, मुरब्बा में तिल या कुश रखने से ये दूषित नहीं होते। वैसे कुल मिलाकर सूतक काल में न ही भोजन बनाया जाता है और न ही ग्रहण किया जाता। हालांकि बीमार, वृद्ध और गर्भवती महिलाओं के लिए इस तरह के नियम लागू नहीं हैं।
यदि भोजन पहले से बना रखा है तो उसमें तुलसी का पत्ता तोड़कर डाल दें। दूध और इससे बनी चीजों, पानी में भी तुलसी का पत्ता डालें। तुलसी के पत्ते के कारण दूषित वातावरण का प्रभाव खाद्य वस्तुओं पर नहीं पड़ता।
सूतक लगने के साथ गर्भवती महिलाएं विशेष रूप से ध्यान रखें। सूतक काल से लेकर ग्रहण पूरा होने तक घर से न निकलें और अपने पेट के हिस्से पर गेरू लगाकर रखें।
सूतक काल से ग्रहण काल समाप्त होने तक गर्भवती स्त्रियां किसी भी प्रकार की नुकीली वस्तुओं का इस्तेमाल न करें। सूतक काल में घर के मंदिर में भी पूजा पाठ न करें। इसके स्थान पर मानसिक जाप करना फलदायी रहेगा।
*🙏🏻जय श्री कृष्ण🙏🏻। आचार्य ✍️आकाश तिवारी।*