*श्रीहरिप्रबोधिनी एकादशी व्रत 4 व 5 नवम्बर शनिवार को सुर्योदय के बाद इस विधि विधान के साथ करें पूजा अर्चना*
आकाश तिवारी
लेकिन कुछ अज्ञानियो द्वारा समाज मे यह भ्रम फैला दिया गया है की शुक्रवार को एकादशी और शनिवार को पारण होने से दोष है। इस भ्रम को दुर करने के लिए आज मै *निर्णयसिन्धु* मे पेज नंबर 65 से 81 तक *एकादशी व्रत निर्णय* का अध्ययन किया, जिसमे मुझे दशमी युक्त एकादशी करने का दोष तो मिला लेकिन यह तथाकथित *शुक शनिचरी एकादशी* का कही जिक्र नहीं है। जबकि एकादशी व्रत निर्णय मे ये स्पष्ट कहा गया है-
*सूर्ये वा सूर्यपुत्रे वा धरणीसुतवासरे।*
*निराहारं न कुर्वीत यदीच्छेत्पुत्रजीवनम्।।* *मच्छयने मदुत्थाने मत्पार्श्व परिवर्तने।*
*निर्जलायां तथा देवोत्थानी वारदोषो न विद्यते।।*
अर्थात- देवोत्थान एकादशी,हरिशयनी एकादशी तथा निर्जला भीमसेनी एकादशी में शुक्रवार शनिवार यानि वार दोष नही लगता है। अतः यह एकादशी व्रत सबके करने योग्य है, इसलिए किसी के कहने पर व्रत का परित्याग नही करें।
कार्तिक माह के शुक्लपक्ष की इस एकादशी को *श्रीहरि प्रबोधिनी* एकादशी नाम से जाना जाता है। पद्मपुराण के अनुसार इस एकादशी व्रत को रखकर परमेश्वर श्रीविष्णु की भक्तिभाव से पूजा-आराधना करने से प्राणी समस्त पापों से मुक्त हो जाते है। कार्तिक शुक्ल पक्ष एकादशी व्रत का फल सौ राजसूय यज्ञ तथा एक सहस्र अश्वमेध यज्ञ के फल के बराबर होता है। देवोत्थान एकादशी के दिन व्रतोत्सव करना प्रत्येक सनातनधर्मी का आध्यात्मिक कर्तव्य है। इस एकादशी के दिन भक्त श्रद्धा के साथ जो कुछ भी जप-तप और स्नान-दान करते हैं, वह सब अक्षय फलदायक हो जाता है। इस दिन भगवान विष्णु जी की पूजा की जाती है। रात्रि जागरण तथा व्रत रखने से सारे पाप नष्ट हो जाते हैं तथा व्रती मरणोपरान्त बैकुण्ठ जाता है।
*🙏🏻जय श्री कृष्ण🙏🏻*
*✍️आचार्य आकाश तिवारी*
*संपर्क सूत्र 9651465038*