बरेली/उत्तर प्रदेश-मिडिया प्रभारी नासिर कुरैशी ने बताया कि सुल्तानुल हिन्द हज़रत ख़्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती अजमेरी रहमतुल्लाह अलेह के कुल शरीफ की रस्म सुन्नी सुफी खानकाही बरेलवी मुसलमानों के सब से बडे भारतिय केंद्र मरकज़े अहल-ए-सुन्नत दरगाहे आला हजरत बरेली शरीफ में शानो-शौकत के साथ सुबह 11 बजे अदा की गई,सरपरस्ती दरगाह प्रमुख हज़रत सुब्हानी मियॉ साहब और सदारत सज्जादानशीन हजरत मुफ्ती अहसन मियॉ साहब ने फरमाई।
इस कुल शरीफ में बरेली शरीफ और आस पास के छेत्रों से गरीब नवाज़ और आलाहज़रत के हजारों अक़ीदत मंदों ने शिरकत की।
सुबह कुरआन खुवानी से महफिल शुरु हुई। हाजी गुलाम सुब्हानी और आसिम रज़ा और उनकी पार्टी ने मीलाद का प्रोग्राम पेश किया।
गरीब नवाज़ के मिशन तहफ्फुज़े अकाइदे अहले-सुन्नत के सब से बड़े प्रचारक का नाम आलाहज़रत है - मुफ्ती सलीम नूरी
मंज़र-ए-इस्लाम के शिक्षक मौलाना मुजीब आलम साहब ने गरीब नवाज के उर्स की अहमियत पर रौशनी डाली और बताया के यह उर्स सुन्नी सुफी खानकाही बरेलवी विचार धारा का भारत में सब से बडा प्रचारक है।
गरीब नवाज के मिशन तहफ्फुज़े नामुसे रिसालत के सब से बड़े प्रचारक का नाम है आलाहज़रत - मुफ्ती सलीम नूरी
मुफ्ती सलीम बरेलवी ने अपनी तकरीर में कहा कि ख्वाजा गरीब नवाज का मिशन सुन्नियत,अकाइदे अहले सुन्नत का प्रसार करना और मजाराते औलिया,नियाज फातिहा और खडे होकर सलातो सलाम पडने से रोकने वालों का विरोध करना था और लोगों के दिलों में इशके रसुल की शमा रौशन करना था और गरीब नवाज के इसी मिशने तहफ्फुज़े सुन्नियत का सब से जियादा बडे पैमाने पर प्रसार और फरोग आलाहज़रत ने किया ।
इस लिए गरीब नवाज के मिशन के सब से बडे प्रचारक का नाम इस समय आलाहज़रत है।
अजमेर शरीफ और वलियों के मज़ारात पर तो सुन्नी,सुफी,खानक़ाही बरेलवी मुसलमान ही जाते हैं - मुफ्ती सलीम नूरी
उन्होने आगे कहा कि गरीब नवाज और मजाराते औलिया पर तो केवल सुन्नी सुफी,खानकाही,बरेलवी विचार धारा और आलाहज़रत के इस संबंध में दिए गए फतवों पर अमल करने वाले ही जाते हैं।मुफ्ती आकिल साहब ने कहा कि आलाहज़रत तो अजमेर शलीफ को केवल अजमेर कहने को सख्त नापसंद करते थे।
दरगाह पर भी सुबह 11 बजे अदा की गई कुल शरीफ की रस्म और बड़े पैमाने पर लंगर हुआ तक़सीम।
दरगाह आला हज़रत के सज्जादानशीन मुफ़्ती अहसन रज़ा क़ादरी (अहसन मियां) ने मुल्क में अमन और भाई चारे की दुआ की और अपने पैगाम में कहा कि आलाहज़रत को गरीब नवाज से अलग कर के नहीं देखा जा सकता और ना कोई अलग कर सकता है,क्योंकि आलाहज़रत ने तो गरीब नवाज का खादिम व गुलाम बन कर ही उन का पुरी जिंदगी काम किया है।
जो लोग बरेली शरीफ और अजमेर शरीफ को लडाने का प्रयास कर रहे हैं वह हरगिज कामयाब नहीं हो सकते।
टी,टी,एस के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य परवेज़ नुरी ने कहा कि गरीब नवाज़ का दरबार हिन्द के बादशाह का दरबार है,उसका अदब यह है कि वहां उस बादशाह और बादशाह के प्यारों का चर्चा और बादशाह की महबुब चीजों का जिक्र किया जाए,नियाज,फातिहा,सलाम बेहद अदब-ओ-एहतराम और आहिस्ता आवाज के साथ पेश किया जाए जिस से दुसरे फातिहा पढने वालों को डिस्टर्ब ना हो।
हमारे खानदान के बुजुर्गों का भी यही तरीक़ा रहा है। सुन्नियों के पेशवा इमाम अहमद रज़ा खान फाज़िले बरेलवी भी बेहद सादगी के साथ ख़्वाजा साहब की बारगाह में हाजिरी देते थे।
इसलिए मेरी सभी अकीदतमंदों से अपील है कि जब वो लोग दरबार-ए-ख़्वाजा में जाये तो अदब-ओ-एहतराम के साथ बेहद सादगी के साथ फ़क़ीराना अंदाज़ में हाज़िरी दे।
सज्जादानशीन की चादर उलेमा के साथ फकीराना अंदाज में बारगाहे ख्वाजा में पेश की मीडिया प्रभारी नासिर कुरैशी ने।
वही सज्जादानशीन मुफ़्ती अहसन मियां ने आज अपनी ओर से टीटीएस कार्यालय पर मीडिया प्रभारी नासिर कुरैशी को एक प्रतिनिधिमंडल के साथ चादर सौपकर अजमेर शरीफ रवाना किया था,नासिर कुरैशी ने मरकजे अहल-ए-सुन्नत बरेली शरीफ की ओर से यह चादर उलमा के साथ निहायत एहतिमाम व एहतिराम के साथ पेश की।
कुल शरीफ के दरगाहे आलाहज़रत पर दरगाह प्रमुख हज़रत सुब्हानी मियॉ साहब और सज्जादानशीन हजरत मुफ्ती अहसन मियॉ साहब की और से टीटीएस राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य शाहिद नूरी,औररंगज़ेब नूरी,परवेज़ नूरी,अजमल नूरी,ताहिर अल्वी,मंज़ूर रज़ा,आसिफ रज़ा,हाजी जावेद खान,जोहिब रज़ा,आलेनबी,इशरत नूरी,शान रज़ा,मुजाहिद रज़ा, काशिफ सुब्हानी,सुहैल रज़ा,साकिब रज़ा आदि ने बडे पैमाने पर लंगर और तबररुक तकसीम किया।
रिपोर्टर-सेराज अहमद क़ुरैशी