बस्ती/उत्तर प्रदेश-रामनगर विकासखंड के नारखोरिया ग्राम पंचायत में स्थित प्राचीन शिव मंदिर सनातन धर्म से जुड़े क्षेत्रीय लोगों का एक प्रमुख आस्था का केंद्र है।
महाशिवरात्रि के दिन यहां पर हजारों की संख्या में शिवभक्त भगवान श्री भोलेनाथ का अर्धरात्रि के बाद से ही जलाभिषेक करते हैं साथ में यहां पर बड़े मेले का भी आयोजन होता है।
बस्ती मंडल मुख्यालय से इसकी दूरी 35 किलोमीटर है। यहां तक पहुंचने के लिए मुख्यालय से बस,टैक्सी के द्वारा नरखोरिया चौराहे तक पहुंचना होता है फिर वहां से गांव को बस्ती-डुमरियागंज राज्य मार्ग से जोड़ने वाले मुख्य सड़क पर पश्चिम तरफ लगभग 500 मीटर पैदल यात्रा करना पड़ता है जहां प्राचीन कडाकुल नदी(वर्तमान में कोटहिया) के तट पर यह मंदिर स्थित है।
वर्षों पूर्व इस मंदिर का निर्माण नरखोरिया के गर्गवंशी क्षत्रिय परिवार के पूर्वज एवं तत्कालीन नारखोरिया रियासत के राजा स्वर्गीय बाबा अहलाद सिंह के पंच पुत्रों द्वारा कराया गया था।
मंदिर के सामने स्थित जल सरोवर एवं बगल में अर्द्ध निर्मित ठाकुर द्वारा उसी समय का है।
पूर्ववर्ती समय में इसी सरोवर में शिवभक्त स्नान करने के उपरांत जल लेकर मंदिर में शिवलिंग का जलाभिषेक करते थे।
मंदिर के पुजारी संकटा प्रसाद गोस्वामी के अनुसार यहां भगवान का पूजा अर्चना के साथ प्रतिदिन संध्या आरती होती है। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए बिजली,पानी, बैठने आदि की व्यवस्था है।
गांव के लोग बताते हैं कि सन् 2020 में नरखोरिया कोट के डा.दीपेन्द्र बहादुर सिंह(दीपू सिंह) ने मंदिर के प्रति अपनी विशेष आस्था रखते हुए कई कार्य किए जिससे मंदिर को एक नई पहचान मिली।
बस्ती जिले का शायद यह एकमात्र मंदिर है जहां के परिसर में नवग्रह एवं नक्षत्र वाटिका स्थापित है।
साफ़-सफाई बिजली,पानी, विभिन्न प्रकार के पेड़ पौधे का रोपड़ आदि उन्हीं के नेतृत्व में ग्राम वासियों के सहयोग से कराया गया है।
भगवान श्री भोलेनाथ ने उनको अपने आशीर्वाद से राजकीय महाविद्यालय में सहायक प्रोफेसर के पद पर नियुक्त कर दिया।
सरकारी सेवा में होते हुए आज भी वो मंदिर के प्रति अपनी विशेष आस्था रखते हैं और आयोजनो में भाग लेते हैं।
रिपोर्टर-अफ़ज़ाल क़ुरैशी-बस्ती