बस्ती/उत्तर प्रदेश-सरकार भले ही ग्रामीण स्वच्छता के नाम पर भारी भरकम बजट खर्च कर रही है जगह- जगह शौचालय बनवाए जा रहे हैं पर जिम्मेदारों की सुस्ती व मिलीभगत से स्वच्छता अभियान फ्लाप सा साबित हो रहा है।
ग्रामीण स्वच्छता मिशन को लग रहा झटका-प्रधान मौन
ऐसा ही एक मामला विकास खण्ड दुबौलिया के ग्राम पंचायत पूरे ओरिराय का प्रकाश में आजा है जहाँ पर सामुदायिक शौचालय तो बना है परन्तु प्रधान मन्ने की निष्क्रियता एवं जन जागरूकता के अभाव में शौचालय निष्प्रयोज्य बना हुआ है और प्रधान के कुछ चहेतों ने अगल-बगल कण्डा रखकर शौचालय को अतिक्रमित कर लिया हैअलबत्ता साफ-सफाई व मानदेय का बजट फिफ्टी-फिफ्टी करके कौड़ियो के भाव उड़ाया जा रहा है।
ग्राम पंचायत-पूरे ओरीराय विकास खण्ड दुबौलिया का मामला
ग्रामीण स्वच्छता के नाम पर सरकार खूब धन की वर्षा कर रही है फिर भी ग्रामीण क्षेत्रों में निर्मित सार्वजनिक शौचालयो की जमीनी हकीकत से सभी भलीभांति रूबरू हैं ।
अभियान चलाकर ग्राम पंचायतों में सार्वजनिक शौचालयों का निर्माण कराया गया है परन्तु जब इनके प्रयोग की बारी आती है तो परिणाम चौंकाने वाले मिलते हैं ।
सार्वजनिक शौचालयों के लिए रखरखाव हेतु ग्राम पंचायत स्तर पर बजट प्रावधानित है और देखभाल हेतु कर्मचारी भी नियुक्त है जिसका प्रतिमाह मानदेय भी जा रहा है ये सारे कार्य कागजों तक ही सीमित है वास्तविक रूप से देखा जाय तो ग्राम पंचायतों में सार्वजनिक शौचालयों का निर्माण एक सोचा समझा घोटाल के सिवाय कुछ भी नहीं है ।
रिपोर्टर-अफ़ज़ाल क़ुरैशी-बस्ती