नगर बाज़ार/बस्ती-रमजान के महीने में छोटे बच्चे रोजा नहीं रखा करते। इस्लाम के मुताबिक सात साल से कम उम्र के बच्चे रोजा नहीं रखते,लेकिन चार साल के मोहम्मद हस्सान पिता रज्जब अली ने इस रमजान का पहला रोजा रखा।
रमजान के इस पाक महीने की ओर अपने माता-पिता का रुझान, जोश और आस्था देखते हुए बच्चे ने रोजा रखने की इच्छा जताई और रखा।
हस्सान ने कहा कि वह पूरे महीने रोजे रखना चाहता है। इतना ही नहीं, इस्लाम के सख्त नियमों को मानते हुए उसने 'अरबी की तिलावत' भी पढ़ना शुरू कर दिया है।
हस्सान के पिता रज्जब ने बताया कि इस्लाम में 5 साल के बच्चो को रोजे रखने की इजाजत नहीं देता, लेकिन बच्चे ने अपनी जिद और आस्था के चलते रोजा रखा।
जब हमने उसे रोकना चाहा और कहा कि इस बार यह बेहद मुश्किल है क्योंकि रमजान गर्मियों में पड़ा है तो उसने जिद की जिससे उसे पहला रोजा रखवाया गया।
हस्सान पहले रोजे के दिन 14घंटों तक बगैर पानी के रहा। शाम 6ः14 बजे तक इफ्तार तक उसने कुछ नहीं खाया। पहले रोजे के लिए हस्सान को ईदी के रूप में कैश, नए कपड़े और खिलौने मिले।
आगे वह रोजे रखेगा या नहीं, यह पूछे जाने पर उसके माता-पिता ने कहा कि उसके लिए यह बेहद मुश्किल है लेकिन रोजे रखना चाहता है।
हस्सान के पहले रोजे को लेकर उनके परिजन खुश हैं।
रिपोर्टर-अफ़ज़ाल क़ुरैशी-बस्ती