नगर बाजार/बस्ती-शब-ए-बरात पर्व मंगलवार को अकीदत व एहतराम के साथ मनाया जाएगा। तैयारी लगभग पूरी हो चुकी है। जामा मस्जिद इमाम मौलाना मुफ्ती अब्दुलहई ने बताया कि इस्लामी कैलेंडर के शाबान माह की 15 वीं तारीख की रात को शब-ए-बरात के नाम से जाना जाता है। शब-ए-बरात का अर्थ होता है छुटकारे की रात यानी गुनाहों से निजात की रात। दीन-ए-इस्लाम में इस रात की बड़ी अहमियत बयान की गई है।
खूब इबादत करें,
क़ुरआन-ए-पाक की तिलावत करें। पुरुष मस्जिद व घर में रहकर इबादत करें। औरते घरों में रहकर ही नमाज और तिलावत, तस्बीह दुरूद अदा करें। आतिशबाज़ी बिल्कुल भी न की जाए। बेवजह देर रात तक न घूमें। फिजूल काम बिल्कुल भी न करें। इस रात अल्लाह पाक बेशुमार गुनाहगारों को जहन्नम से रिहाई अता फरमाया है।
इस रात अल्लाह पाक हर बख्शीश तलब को बख्श देता है सिवाए मां बाप के नाफरमान, आदी शराबी, मुशरिक, गुरुर घमंड, ईर्ष्या करने वाले, नाहक कतल करने वाला बागी के जब तक कि अपने गुनाहों से सच्ची तौबा न कर लें।मौलाना शमसुद्दीन ने बताया कि हदीस शरीफ़ में आया है कि शाबान की 14वीं शब रोजा रखे व 15वीं शब (रात) को कयाम (इबादत) करो और इसके दिन का रोज़ा रखो। यह रात बड़ी रहमत व बरकत वाली है।
इस दिन मुसलमान अल्लाह का ज़िक्र कसरत के साथ करें,क़ज़ा व नफिल नमाज़,रोज़ा,तस्बीह व क़ुरआन की तिलावत करें।
इस रात बंदों पर अल्लाह की खास रहमत उतरती है। इस रात बाइक स्टंट न करें। बेवजह न घूमें। आतिशबाज़ी बिल्कुल न करें।
दरगाहों व मस्जिदों को छोटी-छोटी, रंग बिरंगी लाइटों से सजाया गया है।हजरत सूफी अब्दुल लतीफ रहमतुल्लाह अलैह महुआडाबर,तकियवां,अजगैरीपीर,कब्रिस्तान, शहीद बाबा अमहट,बक्सर,बिरऊपुर,टेमा,भौसिंहपुर, मरवटिया,पोखरनी स्थित कब्रिस्तानों में लाइटें लगाई गईं है।
लोग अपने पूर्वजों की कब्रों के आस-पास साफ-सफाई कर चुके हैं ताकि जियारत के समय किसी प्रकार की कोई दिक्कत न हो। शब-ए-बरात में पूर्वजों की रुहों की मगफिरत के लिए क़ुरआन ख़्वानी, फातिहा ख़्वानी व दुआ ख़्वानी की जाएगी।
गरीबों को हलवा व खाना खिलाया जाएगा। विभिन्न प्रकार का हलवा बनाकर दोस्त-अहबाब व पड़ोसियों में बांटा जाएगा।
हाफिज डाक्टर शमसुल हुदा व हाफिज शमसुल हुदा ने बताया कि अकीदतमंद इस रात शहर की छोटी बड़ी तमाम मस्जिदों व घरों में इबादत कर अल्लाह से दुआ मांगेंगें। वहीं कब्रिस्तानों में जाकर पूर्वजों की कब्रों पर फातिहा पढ़कर उनकी बख़्शिश की दुआ करेंगे।
अल्लाह के वलियों की दरगाह जैसे हजरत सूफी अब्दुल लतीफ रहमतुल्लाह अलैह,हज़रत दुधाधारी शाह, अजगैरीपीर,शहीद बाबा महुआडाबर,और तमाम वालियों के बारगाह में जाते है। देर रात तक लोग नफिल नमाज़ व तिलावते क़ुरआन पाक कर अपना मुकद्दर संवारने की दुआ करेंगे। अगले दिन रोजा रखकर इबादत करेंगे।
रिपोर्टर-अफ़ज़ाल क़ुरैशी-बस्ती