बस्ती/उत्तर प्रदेश-अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट उमेश यादव ने नमकीन में मिलावट से संबंधित 13 साल पुराने मामले में आरोपित को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया। तत्कालीन, खाद्य निरीक्षक बाबूलाल ने न्यायालय में मुकदमा दाखिल किया जिसमें कहा गया कि गायत्री शक्तिपीठ के सामने रोडवेज तिराहे पर एक मिठाई और जलपान की दुकान है।
जिसे छम्मन लाल लखमानी निवासी माली टोला मंगल बाजार थाना पुरानी बस्ती चलाते हैं। खाद्य निरीक्षक द्वारा 17 सितंबर 2009 को छम्मन लाल की दुकान का निरीक्षण दिन में 3.20 पर किया गया। बहुत सारी मिठाइयों के साथ उनकी दुकान में स्वयं की निर्मित नमकीन भी बिक रही थी, जिसकी कीमत 80 रुपया प्रति किलोग्राम थी। खाद्य निरीक्षक द्वारा 60 रुपये अदा करके 750 ग्राम नमकीन खरीदा गया। तीन बराबर हिस्सा बनाकर नमूना विधि विज्ञान प्रयोगशाला में भेजा गया। विधि विज्ञान प्रयोगशाला की रिपोर्ट के अनुसार उक्त नमकीन सोयाबीन के तेल में बनी हुई थी। खाद्य निरीक्षक द्वारा यह आरोप लगाते हुए कि विक्रेता ने बावर्ची रिफाइंड में नमकीन बनाया था परिवाद दाखिल किया। आरोपित ने हाजिर होकर अपनी जमानत कराई। गवाही हुई, सुनवाई हुई।
छम्मन लाल के वकील बंशीधर पांडे ने अदालत में कहा कि खाद्य निरीक्षक ने अपनी जिरह में स्वयं स्वीकार किया है कि सोयाबीन तेल से बनी नमकीन जीवन के लिए हानिकारक नहीं है। अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने सुनवाई के बाद माना किं खाद्य निरीक्षक बाबूलाल यह साबित नहीं कर पाए हैं कि आरोपित ने उन्हें बताया था कि नमकीन बावर्ची रिफाइंड से बनी है। खाद्य निरीक्षक ने स्वयं स्वीकार किया है कि सोयाबीन से बनी नमकीन भी स्वास्थ्यं के लिए हानिकारक नहीं है।
रिपोर्टर-अफ़ज़ाल क़ुरैशी-बस्ती